महिलाओं के अधिकारों के प्रति सऊदी अरब हमेशा से ही कट्टर रहा है। लेकिन पिछले हफ्ते वहां महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा और अन्य दुर्व्यवहार पर प्रतिबंध लगाने के एक उद्देश्य से एक कानून लागू किया गया। महिलाओं के रहने के लिहाज से सबसे ज्यादा खराब देश में यह कानून एक बड़ा बदलाव हो सकता है। लेकिन वाकई सऊदी महिलाएं पुरुष साथी के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकेंगी, इस बारे में अभी भी कुछ कहना मुश्किल है। यह कानून उनके देश में मुक्ति का पहला कदम ही है। अभी भी यहां सिर्फ 10 साल की उम्र में बच्चियों की शादी करा देने और बलात्कार पर बेवकूफी भरा कानून अस्तित्व में हैं। कुछ ऐसे ही कानूनों के बारे में आगे पढ़ें...
पुरुष सत्तात्मक समाज
४० साल के ऊपर की फातिमा रियाद में रहती है। वह तब तक प्लेन में बैठ नहीं सकती, जब तक उसके पास अपने बेटे द्वारा लिखित अनुमति नहीं होगी। रूढ़िवादी सऊदी अरब में महिला का अपना कोई जीवन नहीं होता। कानूनी रूप बालिग होने बावजूद भी महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है। सऊदी में प्रत्येक महिला का पुरुष अभिभावक होना चाहिए। इसमें उसके पिता से लेकर अंकल, भाई, बेटे होते हैं।
किसी भी सऊदी महिला को पढ़ाई, काम, यात्रा, शादी और यहां तक चिकित्सीय जांच के लिए भी पुरुषों से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है। इसके अलावा बिना किसी भी पुरुष अभिभावक वे केस फाइल नहीं कर सकती और न्याय की बात तो भूल ही जाइए।
बाल-विवाह
१२ साल की फातिमा को उसके पिता ने ५० साल अधेड़ आदमी को शादी के लिए बेच दिया। इस आदमी की पहले से ही बीवी और १० बच्चे थे। फातिमा उसके चंगुल से छूटने में सफल रही और अंतत: उसने फरवरी २०१३ में तलाक ले लिया। एक मानवाधिकार संगठन ने उसका केस लड़ा था। सऊदी अरब में छोटी सी उम्र में ही लड़कियों को बेच कर उनकी शादी ७०-८० साल के पुरुषों से कराने का चलन है। रियाद स्थित इमाम मोहम्मद बिन सऊद इस्लामिक यूनिवर्सिटी के प्रो. ग्रांड मुफ्ती शेख अब्दुल अजीज अल शेख का मानना है कि लड़किया १० से १२ साल की उम्र में शादी के लिए तैयार हो जाती हैं। २५ साल की उम्र में शादी करने वाली लड़कियां सबसे बड़ी गलती करती हैं। हाल के सालों में मुल्क में शादी के लिए उम्र बढ़ाने को लेकर काफी दबाव बन रहा है।
बलात्कार का कानून
साल २००७ की बात थी। सऊदी अरब की एक कोर्ट ने गैंगरेप की शिकार पीड़ित को छह महीने कैद और २०० कोड़े मारने का आदेश सुनाया था। इसके अलावा उसे ९० कोड़े मारने की सजा भी अलग से इसलिए सुनाई गई, क्योंकि वह कार में पराए मर्द के साथ थी। इसमें भी महिला को ही दोषी माना गया।
यहां लड़कियों को बालिग होने से पहले ही शादी करा दी जाती है और उन्हें हिजाब में रहना पड़ता है। बावजूद इसके यहां रेप की संख्या सबसे ज्यादा है। इसका जिम्मेदार बलात्कार के कानून को माना जाता है। हालांकि सऊदी में शरिया कानून में रेप के लिए सजा का प्रावधान है। पत्नी के साथ रेप को अपराध नहीं माना जाता है। बलात्कार के लिए किसी आरोपी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती जब तक उसके चार प्रत्यक्षदर्शी न हों।
विदेशी महिला कामगारों के लिए देश में कोई कानून नहीं हैं। इसलिए उनके साथ सबसे ज्यादा ज्यादती की जाती है। इसके अलावा रेप की रिपोर्टिग करना प्रतिबंधित है। महिला के पराए मर्द के साथ रिश्ते रखने पर मर्द से कुछ नहीं कहा जाता है। महिला को इसके लिए उचित सजा का प्रावधान है।
शिक्षा पर पाबंदीयां
२०११ की बात है। महत्वकांक्षी सुसान अली अल देमिनी अमेरिका में पढ़ाई करना चाहती थी। सुसान के इस फैसले को उनके पिता का सपोर्ट था, लेकिन वह दाखिला नहीं ले सकी। सऊदी अरब की हायर एजुकेशन कानून के मुताबिक सरकारी स्कॉलरशिप पर विदेश में पढ़ाई करने के दौरान लड़की के साथ पुरुष अभिभावक का होना ज़रूरी है। जबकि सुसान के साथ उनके माता-पिता दोनों ही जाने को तैयार थे, लेकिन उनके पिता को देश से बाहर जाने से रोक दिया गया और नियमों के मुताबिक मां का जाना गैरकानूनी था।
सऊदी अरब में एजुकेशन सिस्टम लैंगिक भेदवाव पर आधारित है। पुरुषों के मुताबिक महिलाओं को कम सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं। सऊदी ऑफिशियल पॉलिसी के मुताबिक, वहां लड़कियों को केवल इसलिए पढ़ाया जाता है ताकि वे पारंपरिक इस्लामिक ढंग से अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें। बीमारी की हालत में भी लड़कियां संस्थान कैंपस तब तक नहीं छोड़ सकती हैं, जब तक पुरुष अभिभावक की इजाजत ना हो।
नौकरी पर पाबंदीयां
मनर सऊद ने इस साल मई में विनचेस्टर यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री ऑग्रेनाइजेशनल लीडरशिप में हासिल की थी। उन्हें सऊदी सरकार की ओर से स्कॉलरशिप मिली। बावजूद इसके उसके पास कोई नौकरी नहीं हैं। सऊदी सरकार महिलाओं की शिक्षा के लिए काफी पैसे खर्च करती है। लेकिन उनकी नौकरी की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। ५७ फीसदी महिलाओं के पास यूनिवर्सिटी की डिग्री है। ७८ फीसदी के पास स्नातक और ६० फीसदी पीएचडी डिग्री वाली महिलाएं बेरोजगार हैं। दरअसल, सऊदी अरब पुरुष साथी के साथ काम करने, साक्षात्कारों से बचने के लिए नौकरी नहीं दी जाती है।
परिणाम स्वरूप सऊदी महिला पुरुषों के मुकाबले ज्यादा पढ़ी लिखी हैं। २००९ में महिला ग्रेजुएट की संख्या ५९,९४८ थी, जबकि ५५, ८४२ पुरुष ग्रेजुएट थे।
कार चलाने पर पाबंदी
२००८ में वाजेहा अल-हुवैदर का नाम दुनिया में मशहूर हो गया। वह सऊदी अरब की पहली महिला थी, जिसने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर खुद के कार चलाने का वीडियो यूटच्यूब पर पोस्ट किया था। सऊदी अरब में महिलाओं के कार चलाने पर पाबंदी है।
पांच साल बाद अब थोड़ा परिवर्तन आया है। महिलाओं को प्राइवेट ड्राइवर और पुरुष रिश्तेदार के निगरानी में कार चलाने की इजाजत दी जा चुकी है। कई बार पुलिस महिलाओं को गाड़ी चलाते हुए रोक लेती है और उनसे शपथ पत्र लिखवाती हैं कि वह कभी गाड़ी नहीं चलाएंगी। कई बार उन्हें कोड़े मारने की सजा भी दी जाती है। अप्रैल में सऊदी अरब ने महिलाओं के साइकिल और मोटरसाइकिल न चलाने के कानून पर पाबंदी हटा ली है।
खेलों और जिम पर पाबंदी
पिछले साल लंदन ओलिंपिक में दो सऊदी महिला एथलीटों को अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति के दबाव में भेजना पड़ा। इससे पहले सऊदी अरब पुरुष खिलाड़ियों को ही भेजता था। हालांकि फीमेल एथलीटों का प्रसारण सऊदी टीवी पर नहीं किया गया था। सऊदी लड़कियों को खेलों और जिम जाने देने की इजाजत नहीं है। प्रिंसेस नोरा बिंत अब्दुल रहमान यूनिवर्सिटी महिलाओं की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है, जिसमें स्वीमिंग पूल, टेनिस कोर्ट और एक्सरसाइज एरिए की सुविधा है। इसके अलावा कोई भी यूनिवर्सिटी ऐसा सुविधा नहीं देती।
फीमेल एथलीट किसी भी स्पोर्ट्स क्लब में रजिस्टर नहीं करा सकती। नेशनल ट्रायल में उनके लिए पाबंदी है। मई २०१३ में शरिया कानून और ड्रेसकोड के साथ प्राइवेट स्कूल में स्पोर्ट्स एक्टिविटी की इजाजत दी गई है।
कुछ ऐसे कानून
अरब क्रांति के बाद किंग अब्दुला ने कुछ कानून में सुधार किया है। इसमें महिलाओं के अधिकार ज्यादा हैं। उन्होंने २०१५ के म्युनिसिल चुनावों में फीमेल वोटिंग को इजाजत दी है। जनवरी में उन्होंने पहली महिला सदस्य को सलाहकार परिषद में जगह दी है। वहीं, १५० सदस्यों वाली एडवायजरी बॉडी में ३० महिला शामिल हैं। २००९ में पहला एकीकृत कोएड यूनिवर्सिटी और देश की पहली महिला मंत्री नियुक्त की गई थीं। महिलाएं अब अंत:वस्त्र और मेकअप शॉप, सुपर मार्केट और रेस्त्रा काम कर सकती हैं।
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