Friday, 26 July 2013

अंबाजी

देवी भागवत में जो कथा है उसके अनुसार, महीषासुर नामक दैत्यने कडी तपश्चर्या से अग्निदेवको प्रसन्न कर दिये। अग्निदेव से उसने वरदान माँगा तो नरजातिवाले शस्त्र से उसे कोई भी नष्ट नहीं कर पायेगा – उसका नाश नरजाति से ही करना असंभव होगा, ऐसा वरदान अग्निदेवने दिया। अब तो महिषासुर बिलकुल निरंकुश हो गया। उसने देव समुदायको हराकर राजा इन्द्रका सिंहासन जीत लिया। ऋषियाँ और संतो के आश्रम नष्ट किये और एक एक करते हुए विष्णुलोक और कैलाशको भी कब्जेमें करना है वैसा सोचने लगा। सभी देवतागण भागते हुए भगवान शिव समीप आये। भोलेनाथने उस भयानक आपत्ति के लिये भवानी अंबाकी आराधना करने का सुचन किया। आराधनासे मा आद्यशक्ति प्रगट हुए और दैत्य महिसासुर का हनन कर दिया। और देवी अब महिसासुर मर्दीनी नामसे प्रसिध्ध हुऐ।
 
और एक पुराणोत्त्कि के अनुसार श्री राम और लक्ष्मणजी सीता मैयाको ढूँढने आबु पर्वत तक आ गये, वहाँ शृंगीमुनी का आश्रम था, मुनीने उन्हे मा अंबाकी आराधना करने को कहा। दोनो भाईओने देवी अंबा की पूरे मनसे भक्ति की और माँ अंबाने उन्हे प्रसन्न होकर अजय नामक अस्त्र दिया जिनसे श्रीरामने रावणका नाश किया था।
 
मा आरासुरी अंबाका मंदिर:
 
गुजरात राज्य के उत्तर की और अरवल्ली की पहाडियाँ के बीच राजस्थानकी सीमाओंको छूकर बसा हुआ अंबाजी, एक मशहूर यात्राधाम है। पूराणों में जिक्र है कि वहाँ अंबिकावन आया हुआ था। अंबाजी स्थानक समुद्र स्थल से करीब १५८० फिट की ऊंचाई पर अरवल्ली गिरीमाला के बीच आया हुआ है। मंदिर के गर्भगारमें कोई देवी की मूर्ति बिराजमान नहीं है। जो पूजा होती है उस स्थानमें पवित्र विसायंत्र की स्थापना है। विसायंत्र का संबंध शक्तिपीठ से है। उज्जैन नेपाल में जो शक्तिपीठ है उनमें स्थापित मूल विसायंत्र से अंबाजी विसायंत्र का संबंध है ऐसा माना जाता है। यंत्र में कुल ५१ आंकडे – अक्षर है। हर महिने की अष्ठमी के दिन इस विसायंत्र की पूजा होती है। अंबाजी मंदिर क्षेत्रमें यात्री बडी तादाद में और वर्षके हरदिन आते रहतें है। हर माहकी पूर्णिमा को लोग दर्शनके लिये बडी मात्रामें आते रहते है। मंदिर के शिखर पर ध्वज आरोहण करवाते हैं। पूर्ण भारतमें धार्मिक रूपसे एक शक्तिपीठ स्थान् स्वरूपमें अंबाजीका अधिक महत्त्व है। यहाँ कोटेश्वर महादेव की जगहमें से सरस्वती नदीका उदगम स्थान और आद्यशक्ति का पुराण प्रसिध्ध स्थान है। अंबाजी मुख्य मंदिर से करीब दो कि.मी. की दूरी पर गब्बर पहाड पर स्थित गुफामें अंबामाता का आद्यस्थान माना गया है। नवरात्री का उत्सव अंबाजीमें अतिशय धामधूम के साथ मनाया जाता है। यहाँ हर भाद्रपद पूर्णिमाको मेला लगता है और लाखों की संख्यामें सारे गुजरात और आसपास के प्रदेश से भी अंबाजी यात्राधाममे पैदल चलकर आते हुए अपने को कृतकृत्य समजते है। मंदिर के नजदिकमें वर्षो से पुराना मानसरोवर नामक कलाका बेनमून स्थापत्य यहाँ है। जहाँ भगवानश्री कृष्णको बाल्यावस्थामें चौलक्रिया कर दी गई थी एसा माना जाता है।
 

नजदिकका भूमि मार्ग:
गांधीनगर से १५५ कि.मी.
अहमदाबाद से १७९ कि.मी.
सूरत से ४५७ कि.मी.
राजकोट से ४०४ कि.मी.
पालनपुर से ६० कि.मी.
आबुरोड से २३ कि.मी.


नजदिकका रेलवे स्थानक:
आबूरोड (राजस्थान सिमापर), पालनपुर (गुजरात)


नजदिकका हवाईमथक: अहमदाबाद

संपर्क माहिती:
 
क्लेक्टरश्री बनासकांठा और अध्यक्षश्री आरासुरी अंबाजी माता देवस्थान ट्रस्ट
फोन नं.
(कार्यालय) ०२७४२ २५७१७१
(निवास) २५७००७
मोबाइल : ९८२५०३०८०३

वहीवटदारश्री : श्री आरासुरी अंबाजीमाता देवस्थान ट्रस्ट,
फोन (०२७४३)
कार्यालय : २६२१३६ २६२६३६,
(फेक्स) २६४५३६,
निवास २६२१५२
(मो.) ९८२४४८४९१७
 
नायब कार्यकारी इजनेर
(कार्यालय) ०२७४३-२६२३८०
(मो.) ९८२४०७२२२१

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