Saturday, 27 July 2013

पालिताणा

पालिताणा


जैन धर्म के प्रथम तिर्थकर और मानवसंस्कृति के आद्यस्थापक भगवान ऋषभदेव इस तिर्थक्षेत्रमें अपने नन्यानवे अवतार तक जन्म लिया है। जैन धर्म के जो २४ तिर्थकर है, इनमें से २३ तिर्थकरोंने अपना धर्म-संदेश इस पवित्र तिर्थ परसे किया है।
 
भावनगर जिल्ले में शेत्रुंजी नदि के तट पर बसा हुआ करीब १२०० साल पुराना नगर पालीताना विश्वमें जैन धर्म का विख्यात यात्राधाम है। आचार्य पादलिप्तसुरि के नाम से, उनके सिध्ध शिष्य नागार्जुन ध्वारा बसाये हुए इस गाँव का नाम पादलिप्तसुर-पालीतानक याने पालीताना ऐसा रखा गया था। शेत्रुंजय का यह महातिर्थ है, पालीताना मंदिरों की महानगरी है। शाश्वत सिध्ध क्षेत्र है। श्री भगवान आदिनाथ जो श्वेतवर्णिय और पह्मासन में बिराजीत है उनके देरासर तक पहुँचने के लिये गिरीराज शेत्रुंजय के ३४७५ पायदान करीब १८०० फूट की ऊंचाइ पर चढने की तैयारी रखनी पडती है। कहा जाता है कि तेहरवी शताब्दि में वस्तुपाल और तेजपाल दो बंधुओंने इस पहाडी पर चढनेके लिये पत्थरों को लगाकर रास्ता बनवाया था। करीब २० एकर विस्तार में आवृत इस किल्ला क्षेत्रकी वनशृंगो पर १०८ बडे देरासर और ८७२ की संख्यामें छोटे देरासर आये हुऐ हैं। इस के अलावा सात हजार जैन प्रतिमाओ भी यहाँ विद्यमान है। संगेमरमर और चुनासे बने इतने कलाकारीगरी से पूर्ण, इतनी बडी संख्यामें, एक ही स्थल पर, मूर्तियाँ सहीत के देरासर, विश्वमें किसी भी अन्य स्थल पर मौजूद नहीं है। प्राचीनकाल में इस तिर्थ स्थल पर जैनधर्म के प्रथम तिर्थकंर भगवान ऋषभदेव के गणधर पुंडरिक स्वामीने मोक्ष पाया था। अत: उसे पुंडरिकगिरी के नाम से भी जाना जाता है। श्री गिरीराज पर आया हुआ सबसे पहला मंदिर राजा भरत ध्वारा बनवाया गया था। इसके अलावा वहाँ अनेक ऐतिहासिक स्थान और मंदिर भी हैं जिनमें कुमारपाल ध्वारा बनाया हुआ मंदिर, पृथ्वीराज चौहाणने बंधवाया हुआ भवानी तालाब, मंत्रीश्री उदा मेहता ध्वारा निर्मित पथ्थरका मंदिर आदि प्रेक्षणिय स्थल हैं। एक हजार साल पूर्व एक श्रेष्ठी जावडशाने यहाँ मंदिरो का जिर्णोध्धार करवाया था। इस प्रकार के सोलह जिर्णोध्धार इस तिर्थधाममें हो गये है। यहाँ के हर मंदिरको अपनी यशोगाथा है। इतिहास है। प्रतिवर्ष यहाँ चारलाख से भी अधिक संख्यामें यात्री आते हैं। तीन कि.मी. का रास्ता तय करने के बाद, ३४७५ पायदान चढने के बाद लोक शिखर तक पहुँचते हैं। दक्षिणकी और नीचे बहती हुइ शेत्रुंजी नदीका प्रवाह उपरसे अत्यंत मनोहारी लगता है पवित्र लगता है।
 
यहाँ के मंदिरो में जैन धर्म के प्रथम तिर्थकंर आदिनाथ भगवान का मंदिर अत्यंत कलात्मक स्थापत्य का अदभूत नमुना है। कुमारपाल, विमलशाह और चोमुखि आदि दर्शनिय मंदिर यहाँ आये हुए है। इस प्रसिध्धधाम पालीताना में हरसाल फाल्गुन तेरस के दिन, चैत्र की पूर्णिमा के दिन और अक्षयतृतिया पर लाखों की संख्यामें जैन यात्री शेत्रुंजय की परिक्रमा के लिये आते रहने है। यह परिक्रमा का पथ १८ कि.मी. का है, यात्री पैदल चलकर या डोली में बैढकर इस पथ तयकर लेते है। छ : कोषकी इस परिक्रमाको अति महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
 

नजदिकका भूमि मार्ग:
वडोदरा से ३१० कि.मी.
सुरत से ४३५ कि.मी.
भावनगर से ५० कि.मी.
गांधीनगर से २३१ कि.मी.


नजदिकका रेलवे स्थानक:
भावनगर और पालीताना


नजदिकका हवाईमथक: भावनगर

संपर्क माहिती:
 
क्लेक्टरश्री भावनगर और अध्यक्षश्री - पालीताणा विकास समिति
फोन नं : (०२७८)
(कार्यालय) २४२८८२२
(फेक्स) २४२७९४१
(निवास) २५६८८६६
(मोबाईल) ९८२५०४९३१५
 
चेरीटी कमिश्नरश्री – मिरजापुर रोड, अहमदाबाद फोन् ५५०७५१४
(फेक्स) ५५०९२४४
 
जनरल मेनेजरश्री आणंदजी कल्याणजी पालीताणा 
(मो) ९४२६०८१९३०
 
आ.सि. जनरल मेनेजरश्री, आणंदजी कल्याणजी पेढी पालीताणा
फोन- (०२८४८)
कार्यालय २५२१४८
(निवास) २५३२५३
(फेक्स) २४३३४८९
 
संयक्त चेरीटी कमिश्नरश्री वडोदरा 
फोन (कार्यालय) २४३३४४९.

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